भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कर्नाटक के श्री मल्लिकार्जुन पटाना सहकारी बैंक नियमित और महाराष्ट्र के नासिक जिला गिरना सहकारी बैंक पर उनकी बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देखते हुए प्रतिबंध लगा दिया है. इसके तहत दोनों बैंकों के ग्राहक अपने खातों से पैसा नहीं निकाल सकेंगे. केंद्रीय बैंक ने दो अलग-अलग बयान में कहा कि श्री मल्लिकार्जुन पटाना सहकारी बैंक और नासिक जिला गिरना सहकारी बैंक पर प्रतिबंध छह महीने के लिये प्रभाव में रहेगा.
रिजर्व बैंक ने कहा कि नासिक जिला गिरना सहकारी बैंक के 99.87 प्रतिशत जमाकर्ता जमा बीमा और कर्ज गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) बीमा योजना के दायरे में हैं. साथ ही श्री मल्लिकार्जुन पटाना सहकारी बैंक के 99.53 प्रतिशत जमाकर्ता भी डीआईसीजीसी बीमा योजना के दायरे में हैं.
क्यों लगाया गया निकासी पर प्रतिबंध?
केंद्रीय बैंक ने कर्नाटक स्थित बैंक के बारे में कहा, “बैंक की मौजूदा नकदी की स्थिति को देखते हुए सभी बचत बैंक या चालू खातों या जमाकर्ता के किसी अन्य खाते में कुल शेष राशि से कोई भी रकम निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. लेकिन जमा को लेकर कर्ज को समायोजित करने की अनुमति है.” इसी प्रकार की शर्त महाराष्ट्र स्थित बैंक पर लगायी गयी है.
क्या नहीं कर सकता बैंक?
पाबंदियों के मद्देनजर दोनों बैंक रिजर्व बैंक की पूर्व-मंजूरी के बिना कोई नया कर्ज नहीं दे सकते और न ही कर्ज को रिन्यू सकते हैं. साथ ही उन्हें कोई निवेश करने की भी अनुमति नहीं होगी. वे कोई भी दायित्व नहीं ले सकते हैं. इसमें उधार लेना और नई जमा की स्वीकृति शामिल है. आरबीआई ने साथ में यह भी कहा है कि इन प्रतिबंधों को बैंक का लाइसेंस रद्द होने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. बकौल आरबीआई, बैंक अपनी वित्तीय स्थिति सुधरने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिग व्यवसाय जारी रखेंगे.
क्या है डीआईसीजीसी
यह सरकार द्वारा चलाई गई एक तरह की इंश्योरेंस स्कीम है. अगर कोई बैंक डूबता है या किसी अन्य कारण से उससे निकासी पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो बैंक में जमा हर शख्स की 5 लाख रूपये तक की राशि सुरक्षित रहती है. इसका मतलब है कि अगर बैंक के पास नहीं है तो सरकार ये पैसा जमाकर्ताओं को चुकाएगी.