जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe Death) की आज गोली लगने की वजह से मौत हो गई. शिंजो आबे को जापानी अर्थव्यवस्था में कई बड़े सुधारों के लिए जाना जाता है. जापानी इकोनॉमी को सुधारने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदम ‘आबेनॉमिक्स (Abenomics)’ के रूप में फेमस हुए. उनकी मौत के बाद एक्सपर्ट्स का कहना है कि जापान की अर्थव्यवस्था पर इसका चौतरफा असर हो सकता है.
भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे (जापान के समय के मुताबिक सुबह 11.30) भाषण के दौरान आबे पर सभा में मौजूद एक हमलावर ने पीछे से गोलियां चलाईं. 6 घंटे बाद उन्होंने आखिरी सांस ली. आबे जापान के सबसे युवा व सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे.
चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध
आबे साल 2006 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन एक साल बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. साल 2012 में आबे फिर पीएम बने और जापानी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बड़े स्तर पर काम शुरू किया. आबे को इकोनॉमी को उबारने के प्रयासों के अलावा जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने और चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध करने के लिए जाना जाता रहा है. चीन से मुकाबले के लिए आबे जमीनी स्तर पर काम रहे थे. वहीं, भारत के साथ आबे के संबंध काफी अच्छे रहे. उनके कार्यकाल में भारत-जापान संबंध नई ऊंचाई पर गए.
‘आबेनॉमिक्स’ कितना सफल
आबे ने जापान के लोगों से इकोनॉमी को मजबूत बनाने का वादा किया था. उसी के तहत वे सुधारों की पूरी सीरीज लेकर आए जिसे ‘आबेनॉमिक्स’ सिद्धांत के नाम से दुनिया भर में जाना गया. डिफ्लेशन पर लगाम लगाने, दूसरे विश्व युद्ध के बाद लागू संविधान की पाबंदियों को कम करने को लेकर वे काम करते रहे. आबे इस सिद्धांत के दम पर विदेशी निवेशकों को जापान बुलाने का प्रयास करते रहे.