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कोरोना महामारी में डॉक्टरों और स्वास्थ्य अमले ने अपनी जान जोखिम में डाल कर बचाया लोगों का जीवन – मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान डॉक्टरों और स्वास्थ्य अमले ने अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों का जीवन बचाया। इनके सेवाभाव से कोरोना की लड़ाई में सफलता मिली। डॉक्टरों और चिकित्सा संस्थानों के योगदान की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। मुख्यमंत्री ने आज यहां अपने निवास कार्यालय परिसर में कोविड-19 संकट के दौरान चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए डॉक्टर्स व निजी चिकित्सा संस्थानों को हेल्थ प्राइड अवार्ड से सम्मानित करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किए। मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों और संस्थानों के प्रतिनिधियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए।

गौरतलब है कि पत्र समूह द्वारा 32 डॉक्टरों और चिकित्सा संस्थानों को हेल्थ प्राइड अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। पद्मश्री डॉ. ए.टी. दाबके और डॉ. पी.एस. देशपाण्डे को लाइफ टाइम एचिवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। नगर-निगम रायपुर के महापौर श्री एजाज ढेबर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, के स्टेट बिजनेस हेड श्री देवेश सिंह, स्टेट एडिटर श्री शिव दुबे, समाज सेवी श्री शांतिलाल बरड़िया भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के समय युद्ध से भी अधिक भयानक स्थिति थी। युद्ध में तो हम दुश्मन को पहचानते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के नियंत्रण के लिए एक अज्ञात दुश्मन से लड़ाई लड़नी थी। चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को स्वीकार कर स्वयं की जान को जोखिम में डालकर कोरोना के नियंत्रण में सफलता पाई है। आज हम चिकित्सकों और संस्थानों को सम्मानित कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

श्री बघेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों के उपचार के लिए राज्य सरकार द्वारा ऑक्सीजन, दवाई, बेड सहित उपचार के लिए जरूरी अन्य सभी चीजें तत्काल उपलब्ध कराई। इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाला उद्योगों को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस दिया, जिसके कारण छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन की कमी नहीं हुई और छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्यों को भी ऑक्सीजन की सप्लाई की गई। देश में सबसे पहले कोरोना नियंत्रण के लिए प्रोटोकॉल और लॉकडाउन से संबंधित दिशा निर्देश छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी किया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसका अनुसरण कर पूरे देश में लागू किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सिकलसेल के इलाज के लिए काम करने की आवश्यकता है। सभी जिला चिकित्सालयों में हमर लैब की स्थापना की जा रही है, जहां 120 प्रकार की जांच निःशुल्क की जाएगी। यदि कम उम्र में सिकलसेल से पीड़ित बच्चों की पहचान होगी, तो उनका इलाज भी किया जा सकेगा, उनका जीवन भी बचाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराकर समुचित इलाज के लिए प्रबंध किया जा रहा है। शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना से लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच रही हैं। काफी कम समय में हमें चार मेडिकल कॉलेज मिले हैं। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को अच्छी सफलता मिली है।

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