भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के शोधकर्ताओं ने एक नया सिद्धांत विकसित किया है जिसके तहत सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) जैसे वायरस को निष्क्रिय करने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र का इस्तेमाल किया जाता है.
पत्रिका ‘नेचर केमिकल बायोलॉजी’ में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने कृत्रिम ‘पेप्टाइड’ या मिनीप्रोटीन की एक नई श्रेणी को तैयार किया है जो न केवल हमारी कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोक सकती है, बल्कि विषाणुओं (वायरस कणों) को भी एक साथ जोड़ सकती है, जिससे संक्रमित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है.
अमीनो अम्लों की छोटी श्रृंखलाओं को ‘पेप्टाइड’ कहते हैं. कई पेप्टाइड मिलकर प्रोटीन बनाते हैं. प्रोटीन एवं पेप्टाइड में आकार का ही अंतर होता है.
मिनीप्रोटीन द्वारा रोका जा सकता है
बेंगलुरू स्थित आईआईएससी ने एक बयान में बताया कि ‘प्रोटीन-प्रोटीन इंटरैक्शन’ अक्सर ताला और चाभी की तरह होते है और इसे एक प्रयोगशाला-निर्मित मिनीप्रोटीन द्वारा रोका जा सकता है. नए अध्ययन में, टीम ने मिनीप्रोटीन को विकसित करने के लिए इस दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया है जो सार्स-सीओवी-2 वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन को अवरुद्ध कर सकता है.
आईआईएससी में मॉलिक्यूलर बायोफिजिक्स यूनिट (एमबीयू)में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक जयंत चटर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन हमें इस सिद्धांत के लिए सबूत की आवश्यकता थी.’’
टीम ने मानव कोशिकाओं में सार्स-सीओवी-2 और एसीई2 प्रोटीन के स्पाइक (एस) प्रोटीन के बीच पारस्परिक क्रिया को लक्षित करने के लिए एसआईएच-5 नामक एक मिनीप्रोटीन का उपयोग करके अपनी अवधारणा का परीक्षण करने का निर्णय लिया था.