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अमेरिका और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स वायरस से मचा हड़कंप, आखिर क्यों है ये खतरनाक? जानें 10 बड़ी बातें

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मंकीपॉक्स वायरस के नए केस मिलने से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है. अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन में भी दो और केस मिले हैं. यानी ब्रिटेन में अब तक कुल 9 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इसके अलावा कुछ मामले पुर्तगाल और स्पेन से भी आए हैं. ये आमतौर पर ऐसे लोगों को हो रहा है जो पश्चिम अफ्रीकी देशों से लौट कर आ रहे हैं. आखिर कितना खतरनाक है ये वायरस और क्या हैं इसके लक्षण? आईए एक नज़र डालते हैं इस वायरस से जुड़ी 10 बड़ी बातों पर…

ये मंकीपॉक्स वायरस से फैलता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये चेचक के वायरस की फैमली से ही जुड़ा है. हालांकि ये बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है और विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण की संभावना कम रहती है.
ये ज्यादातर उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (Tropical Rainforests) के पास, मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के दूरदराज के हिस्सों में पाया जाता है. वायरस के दो मुख्य प्रकार हैं – पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी.
बीबीसी के मुताबिक ब्रिटेन में संक्रमित रोगियों में से दो ने नाइजीरिया से यात्रा की, इसलिए ये संभावना है कि वे वायरस के पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से पीड़ित हैं. ये आमतौर पर हल्का होता है, लेकिन ये अभी तक अपुष्ट है.
इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य रूप से सुस्ती शामिल हैं.
एक बार जब बुखार टूट जाता है तो शरीर पर एक दाने विकसित हो सकते हैं. ये दाने अक्सर चेहरे पर शुरू होते हैं, फिर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं, आमतौर पर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में.
इन दानों से से खुजली हो सकती है. बाद में ये पपड़ी बनकर गिर जाती है. घाव निशान बन सकते हैं. संक्रमण आमतौर पर अपने आप खत्म हो जाता है और 14 से 21 दिनों के बीच रहता है.
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से हो सकता है. ये वायरस त्वचा, रेसिपेटरी ट्रैक या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है.
ये संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों, या वायरस से दूषित वस्तुओं, जैसे बिस्तर और कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है.
वायरस के अधिकांश मामले हल्के होते हैं, कभी-कभी चेचक के समान होते हैं. कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं.
हालांकि मंकीपॉक्स कभी-कभी अधिक गंभीर हो सकता है और पश्चिम अफ्रीका में मौतों का कारण बताया गया.

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