कोरोना को लेकर आया नया अध्ययन उन लोगों के लिए चिंता की बात हो सकती है जो कोरोना के चलते गंभीर हालत में पहुंच गए थे या जिन्हें अस्पताल की शरण लेनी पड़ी थी. लेंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि ऐसे लोग जिन्हें कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, उनमें से करीब आधे लोगों को इससे जुड़े एक या दो लक्षण अगले दो साल तक परेशान कर सकते हैं.
यह अध्ययन चीन के मरीजों के आधार पर किया गया था जहां 2020 में सबसे पहले कोरोना वायरस ने दस्तक दी थी. चीन में स्थिति चीन-जापान मैत्री अस्पताल के प्रोफेसर बिन काओ का कहना है कि हमारी खोज बताती है ऐसे मरीज जो कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे, उनका संक्रमण भले ही खत्म हो गया था लेकिन उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम दो साल लगेंगे. ऐसे लोग जो लॉन्ग कोविड से जूझ रहे थे और अस्पताल मे भर्ती थे उनकी लगातार जांच के बाद यह नतीजा निकला कि ऐसे मरीजों के पूरी तरह ठीक होने के लिए उनके पुनर्वास कार्यक्रम पर गौर किया जाना चाहिए ताकि उनकी बीमारी पर बारीकी से नजर रखी जा सके.
दो साल बाद जो मरीज बीमार पड़े थे उनमें 31 फीसद ने थकान या मांसपेशियों की कमजोरी की शिकायत की, नींद नहीं आने की रिपोर्ट करने वालें भी इसी संख्या में थे.
खास बात यह है कि भारत के डॉक्टरों का भी यही कहना है कि वह यहां पर मरीजों में ठीक ऐसे ही लक्षण देख रहे हैं.
एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ जी.सी खिलनानी का कहना है कि डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी लोग थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द, नींद की कमी, चिंता, पेट की खराबी जैसी शिकायत लेकर आ रहे हैं. यह लक्षण उन लोगों में और ज्यादा गंभीर रुप से देखने को मिल रहे हैं जिन्हें फेफड़ों की शिकायत थी. हालांकि यह अध्ययन एक ही केंद्र को ध्यान में रखकर किया गया है लेकिन इस पर व्यापक अध्ययन करके सही नतीजों पर पहुंचना बेहद ज़रूरी है ताकि इन दिक्कतों से जूझ रहे लोगों को सही उपचार मिल सके.