महामारी और यूक्रेन संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था भारतीय कंपनी नित नए ऊंचाइयों और कीर्तिमानो को छूते जा रही है . हाल ही में एक भारतीय स्टार्टअप ने अपने को प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में शामिल कर लिया. यह आंकड़ों के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके साथ ही भारत के 100 स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई. गौरतलब है कि इस साल अभी तक भारत के 22 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए हैं जबकि पिछले साल 44 स्टार्टअप को इस क्लब में शामिल हुए थे.
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी जताई खुशी
देश के 100 स्टार्टअप कंपनियों के यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया था कि लगभग 75 महीने पहले हमने स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरु किया था. तब स्टार्ट अप इकोसिस्टम के रूप में हमारी गिनती कहीं नहीं होती थी.आज हम यूनिकॉर्न्स के मामले में दुनिया में नंबर-3 पर हैं. आज स्टार्ट अप्स के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम हिंदुस्तान है.
गौरतलब है कि भारत दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़े इकोसिस्टम के तौर पर विकसित हुआ है और भारत के 100 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं.
इन कंपनियो का होता है यूनिकॉर्न क्लब
जानकारी के मुताबिक एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियों को यूनिकॉर्न क्लब में शामिल किया जाता है. ट्रेड संगठन से जुड़े प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ताकत को बताता है. उनका कहना है कि भारत अब सिर्फ उपभोक्ता के तौर पर नहीं बल्कि उत्पादक और निर्यातक के तौर पर विश्व पटल में उभर रहा है. यही कारण है कि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में 400 बिलियन डॉलर के वस्तुओं के निर्यात के लक्ष्य को हासिल किया था.
खंडेलवाल कहते हैं कि इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काफी काम किए गए है.वे इसके लिए कई मामलों में सिंगल विंडो सिस्टम पीएलआई किसकी जैसे प्रोत्साहन हो प्रमुख कारण मानते हैं . साथ ही साथ पीएम नरेंद्र मोदी के ब्रांड भारत के तौर पर विकसित होने और सरकार की नीतियों में निरंतरता को भी महत्वपूर्ण कारक मांगते हैं.
खंडेलवाल का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार भारत मे पिछले 7-8 साल में 5000 से अधिक व्यापार से जुड़े कानूनों बदलाव किए है जिसका प्रभाव हम इन आर्थिक उपलब्धियों में देखते हैं . हालांकि उनका कहना है कि अभी भी कई कानूनों में बदलाव किए जाने बाकी है. खंडेलवाल इसके साथ ही साथ शिक्षा पद्धति को भी इंडस्ट्री और इसके जरूर तो के मुताबिक बनाने की बात करते हैं. हालांकि उनका कहना है कि नई शिक्षा नीति में इसके लिए काफी प्रयास किए गए हैं.