भारत रूस से कच्चे तेल (Crude Oil) पर बड़ी छूट पाने की कोशिश कर रहा है. बताया जा रहा है कि नई दिल्ली इसके लिए 70 डॉलर प्रति बैरल से कम का भुगतान करना चाहता है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों के बीत वार्ता जारी है. हालांकि भारत सरकार (Government of India) ने इस पर फिलहाल किसी भी तरह की टिप्पणी देने से इनकार कर दिया है.
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब $ 130 प्रति बैरल है जो कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने पर $ 138 प्रति बैरल पहुंच गई थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें, तो रूस-यूक्रेन में जंग के बाद से भारत की सरकारी और निजी रिफायनरी ने 40 मिलियन बैरल रूसी क्रूड ऑयल खरीदा है, जो कि 2021 की तुलना में रूस से भारत को हुई तेल सप्लाई से 20 फीसदी ज्यादा है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, पिछले महीने भी रूस ने भारत को 1.5 करोड़ बैरल की एकमुश्त खरीद पर छूट की पेशकश की थी.
अगर दोनों देशों के बीच इस प्रस्ताव को लेकर सहमति बन जाती है तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी आ सकती है.भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है. इसमें से कुछ हिस्सा रूस से भी आयात किया जाता है. वहीं कच्चा तेल रूस की सरकार के राजस्व का एक प्रमुख स्त्रोत है. चूंकि यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपीय देशों की ओर से मांग कम होने के कारण रूस के तेल उद्योग पर बुरा असर पड़ा है.
हालांकि भारत में रूस से आने वाला कच्चा तेल प्रतिबंधित नहीं है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध और अमेरिकी दबाव के कारण मुश्किलें सामने आ रही है. हालांकि यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध और अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत ने रूस से तेल और ऊर्जा उत्पादों का आयात किया है.
हालांकि भारत में रूस से आने वाला कच्चा तेल प्रतिबंधित नहीं है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध और अमेरिकी दबाव के कारण मुश्किलें सामने आ रही है. हालांकि यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध और अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत ने रूस से तेल और ऊर्जा उत्पादों का आयात किया है.