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छात्रा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछा- सर, आप कितने घंटे तक काम करते हैं ? मिला रोचक जवाब

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विद्यार्थियों (Students) के मन में यह सहज जिज्ञासा रहती है कि उनके देश-प्रदेश को चलाने वाले पीएम-सीएम कितने घंटे काम करते होंगे? दुर्ग (Durg) में नवनिर्मित आवासीय विद्यालय (School) के लोकार्पण के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel)  से छात्रों को सवाल करने का मौका मिला तो उन्होंने तपाक से पूछ लिया कि सर, आप कितने घंटे काम करते हैं और इनता काम करने की ऊर्जा कहां से लाते हैं ?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न सिर्फ विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया, बल्कि उन्हें लोकतंत्र का पाठ भी पढ़ाया. बघेल ने कहा कि लोकतंत्र आपको अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन इसके साथ ही नागरिकों के लिए जरूरी कर्तव्य भी बताता है.

‘मैं तब तक काम करता हूं, जब तक कि वह खत्म न हो’
आवासीय स्कूल के लोकार्पण के बाद छात्र-छात्राओं को मुख्यमंत्री से संवाद करने का मौका मिला. छात्रा मेघा चौहान ने मुख्यमंत्री बघेल से पूछा कि आप कितने घंटे काम करते हैं? इस पर उन्होंने बताया कि मैं अपने दिन की शुरुआत योग, मेडिटेशन और पूजा से करता हूं. इसके बाद मैं दिनभर के एजेंडा बनाता हूं और उस पर काम करता हूं। जब तक मेरा काम समाप्त नहीं होता, तब तक मैं काम करता रहता हूं.

शारीरिक-मानसिक संतुलन के लिए पोषक तत्व और ध्यान जरूरी
सीएम से एक अन्य बच्चे ने प्रश्न पूछा कि इतना काम करने के लिए आप ऊर्जा कहां से लाते हैं? इसके जवाब में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इसके लिए हमें शारीरिक और मानसिक संतुलन पर विशेष ध्यान देना चाहिए. शारीरिक संतुलन के लिए अच्छा आहार जरूरी है जिसमें पोषक तत्व हों. मानसिक संतुलन के लिए ध्यान आवश्यक है.उन्होंने कहा कि बच्चों को शारीरिक संतुलन के लिए योग करना चाहिए अथवा खूब खेलकूद करना चाहिए ताकि वह हमेशा ऊर्जावान बने रहें.

विधानसभा कैसे काम करती है, कानून कैसे बनते हैं?
इस दौरान छात्रा पलक ने पूछा विधानसभा कैसे काम करती है? यहां सदस्य किस तरह से बैठते हैं ? इस पर मुख्यमंत्री ने विस्तार से उन्हें विधानसभा के कार्यों के बारे में बताया. मुख्यमंत्री बघेल ने प्रश्नकाल, शून्यकाल एवं विधानसभा से संबंधित अन्य गतिविधियों की जानकारी दी. एक अन्य छात्र ने सीएम से पूछा कि कानून कैसे बनते हैं? इस पर उन्होंने बताया कि राज्य के नागरिकों की जरूरत के मुताबिक उनके हितों के अनुकूल जो चीजें आवश्यक लगती हैं, उनका प्रारूप बनाया जाता है और इस तरह से कानून तैयार किए जाते हैं.

गुलाम भारत में नीतियां जनता के अनुकूल नहीं बनती थीं
मुख्यमंत्री ने बच्चों को बताया कि गुलाम भारत में नीतियां जनता के अनुकूल नहीं बनती थीं, बल्कि औपनिवेशिक व्यवस्था के हितों के मुताबिक बनती थी. उन्होंने बताया कि भारत में सर्वश्रेष्ठ प्रकृति का मलमल तैयार होता था. यह मलमल इतना महीन होता था कि अंगूठी में भी समा जाता था और इसी महीन मलमल के देश को पूरी तरह से मैनचेस्टर की मिलों पर अंग्रेजों ने निर्भर कर दिया. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में भी बताया.

 

लोकतंत्र सब को देता है अभिव्यक्ति की आजादी
उन्होंने बताया कि लोकतंत्र आपको अभिव्यक्ति की आजादी देता है लेकिन इसके साथ ही नागरिक के लिए जरूरी कर्तव्य भी बताता है. जिस तरह से ट्रैफिक सेंस को लें. अगर आप नियमों का पालन नहीं करते हैं तो जुर्माना आपको देना पड़ता है. इस मौके पर उन्होंने बच्चों से प्रश्न भी पूछे. उन्होंने पूछा कि संविधान सभा में छत्तीसगढ़ में हिंदी समिति के कौन से सदस्य थे. बाद में बघेल ने बताया कि स्व. घनश्याम गुप्ता जो दुर्ग से संबंधित हैं, उनकी भूमिका इसमें रही. उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के योगदान का भी स्मरण किया. इस मौके पर सीएम ने बच्चों के साथ लंच भी किया.

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