चीनी सामानों की भारतीय बाज़ार में बाढ़ के बाद भारत सरकार आयात शुल्क में वृद्धि कर इस प्रवाह को रोकने का प्रयास कर रही है. चीनी सामानों की भारतीय बाज़ार में बढ़ती उपस्थिति से घरेलू कारोबारियों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में भारत सरकार लगातार लोगों से स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का आह्वान कर रही है. लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच जारी गतिरोध के बीच भारत में आम लोगों के मध्य भी चीनी उत्पादों के प्रति रोष व उनका बहिष्कार देखने को मिला है.
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फोर लोकल’ के नारे का अब असर होता दिख रहा है. दरअसल, चीन से भारत में आयात होने वाली वस्तुओं में से एक बड़ा हिस्सा खिलौनों का है और सरकार व आम लोगों के प्रयासों ने इसे तगड़ी चोट पहुंचाई है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2018-19 में भारत ने 45.7 करोड़ डॉलर के चीनी खिलौनों का आयात किया था लेकिन 2021-22 ( अप्रैल 2021 से जनवरी 2022) तक चीनी खिलौनों का आयात घटकर 20.6 करोड़ डॉलर रह गया है.
कैसे आई चीनी खिलौनों के आयात में गिरावट
सस्ते और घटिया खिलौनों के आयात को नियंत्रित करने के लिए 2 दिसंबर, 2019 को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी कर आयात होने वाली हर खेप के नमूने की जांच को अनिवार्य कर दिया था. इस अधिसूचना के अनुसार, गुणवत्ता परीक्षण सफल होने तक बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी. अगर आयातित वस्तु परीक्षण में विफल होती है तो उसे या तो वापस लौटा दिया जाता है या फिर आयातक के खर्चे पर नष्ट कर दिया जाता है.
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
इस अधिसूचना के अलावा सरकार ने 25 फरवरी 2020 को एक खिलौना (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश भी जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 1 जनवरी 2021 से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन के तहत लाया गया. यह गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) घरेलू निर्माताओं के साथ-साथ भारत में खिलौने निर्यात का इरादा रखने वाले विदेशी निर्माताओं पर भी समान रूप से लागू होता है. गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अनुसार, खिलौनों की सुरक्षा के लिए उनका भारतीय मानकों के अनुरूप होना और बीआईएस से लाइसेंस के तहत आईएसआई चिह्नित होना अनिवार्य है.
नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को आईएसआई चिह्न के बिना किसी भी खिलौने का निर्माण, आयात, वितरण, बिक्री, किराया, पट्टे, स्टोर या बिक्री के लिए प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है. बीआईएस उत्पाद प्रमाणन योजना के तहत भारत में केवल वे विदेशी निर्माता खिलौने निर्यात कर पाएंगे जिनकी विनिर्माण और परीक्षण क्षमता को संतोषजनक पाए जाने के बाद बीआईएस लाइसेंस दिया गया है. लाइसेंस धारक लाइसेंस की शर्तों के अनुसार संतोषजनक ढंग से काम कर रहा है या नहीं यह जांचने के लिए बीआईएस बाजार निगरानी गतिविधियों और कारखाने की निगरानी भी करता है. इन निगरानी निरीक्षणों के दौरान परीक्षण के लिए नमूने भी लिए जाते हैं.