गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह (Mundra Port in Gujara) पर पिछले साल सितंबर में 3000 किलो हीरोइन जब्त हुआ था, उसके तार सीधे पाकिस्तानी आतंकी समूहों से जुड़ा हुआ है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी है. एनआईएन ने सोमवार को इस संबंध में 16 लोगों के खिलाफ चार्टसीट दाखिल किया है. इनमें 11 अफगानी नागरिक, चार भारतीय और एक ईरानी नागरिक शामिल हैं. राजस्व अधिसूचना निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence and the consignment) ने इस हीरोइन को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से जब्त किया था. इस हीरोन की कीमत 21 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है.
एनआईए ने बयान में बताया है कि इस हीरोइन से जुड़े मोहम्मद हसन हुसैन दाद और मोहम्मद हसन दाद के संबंध पाकिस्तान स्थिति प्रतिबंधित आतंकी समूह के साथ जुड़े हुए हैं. बयान में बताया गया है कि ड्रग की तस्करी हवाला माध्यम से की जा रही थी जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संचालित कर रहे थे. यह भारत में देश विरोधी गतिविधियों को गति देने के लिए अंजाम दिए जाते हैं.
कंधार से चली थी खेफ
हसन दाद और हुसैन दाद अफगानिस्तान के कंधार में मेसर्स हसन हुसैन लिमिटेड के मालिक है. उनकी कंपनी के अधिकारियों का कहना था कि जो खेप भेजी जा रही है उसमें कच्चा स्टोन है जिससे पाउडर बनाया जाता है. यह खेप कंधार से चली थी और इसे इसे ईरान के बंदर बंदरगाह से भारत के लिए भेजा गया था. भारत में इस खेप को आंध्र प्रदेश में आशी ट्रेडिंग कंपनी को भेजा जाना था. इस कंपनी को चेन्नई के महावरम सुधाकर और उनकी पत्नी गोविंद राजु दुर्गापूर्णा वैशाली चलाती हैं.
पाउडर के पत्थर के बदले हीरोईन
एनआईए ने कोर्ट को बताया कि पूछताछ से पता चला कि इसी तरह से ड्रगों की तस्करी इन्हीं लोगों द्वारा पहले भी भारत में की गई है. इससे संबंधित केस राजस्व अधिसूचना निदेशालय में दर्ज है. दिल्ली के एक वेयरहाउस से 16 किलो हीरोईन की बरामदगी हुई थी. इस संबंध में गढ़ शंकर थाना में केस दर्ज किया गया था. इसी तरह पंजाब में 20.250 ग्राम हीरोइन बरामद हुआ था. ये दोनों मामले इन्ही आरोपियों से जुड़े हुए हैं. एनआईए ने बताया कि आशी ट्रेडिंग कंपनी के आरोपी एम सुधाकर, डीपी वैशाली ने कुछ और लोगों के साथ मिलकर बड़ी मात्रा में देश में मादक पदार्थों की तस्करी की. ये लोग पाउडर का कच्चा पत्थर बताकर इसे बेचा करते थे. इन लोगों ने भारत के खिलाफ आपराधिक साजिश रची है.