राज्यपाल सुश्री उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश व प्रदेश की महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज सर्वाधिक खुशी इस बात की हो रही है कि प्रदेश भर की विभिन्न संस्थाओं की महिलाएं, छत्तीसगढ़ के दूरदराज इलाकों से पहुंची स्वास्थ्य कार्यकर्ता व मितानिन सहित विश्वविद्यालय के महिला प्राध्यापक व हमारी युवा तथा ऊर्जावान छात्राएं इस सदन में एक साथ उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि मैं राज्यपाल के साथ-साथ बतौर महिला मैं आपके संरक्षक के तौर पर हमेशा साथ हूं तथा इस आधी आबादी को साथ मिलकर राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बनना है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रदेश की बहनें बहुत सशक्त हैं और उन्होंने राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाई हैं। उन्होंने अनेकों विदुषी महिलाओं सहित अपने व्यक्तिगत संघर्षों का उदाहरण देते हुए कहा कि पल-प्रति पल हमें अपने सपनों के लिए लड़ना पड़ता है। सामाजिक संरचना में महिलाओं को समान अवसर नहीं मिल पाते। इन कारणों से हमें हताश होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि दोगुने मनोबल से हमें अपना काम कर अपनी जगह बनानी है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि एक समय था जब सेना, पुलिस जैसी शारीरिक दक्षता की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में महिलाओं की उपस्थिति कम थी, किन्तु अब इन क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने ऐसे मिथकों को तोड़ा है। महिलाओं की शारीरिक व मानसिक क्षमता पुरूषों से कहीं अधिक है, क्योंकि वे सृजनशील हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तीकरण का जिक्र करते हुए कोण्डागांव जिले के सल्फीपदर गांव की महिलाओं के योगदान के बारे में बताया कि कैसे वे अपने परिवेश को बचाने के लिए संघर्षरत् हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़कर छात्र-छात्राओं में राष्ट्रीयता तथा नेतृत्व की भावना का विकास होता है। संस्थानों की डिग्री से इतर राष्ट्रीय सेवा योजना की गतिविधियों में प्राप्त व्यावहारिक ज्ञान भी लैंगिक समानता जैसे विषयों के प्रति युवाओं को जागरूक करता है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं के सशक्तीकरण तथा उन्हें अवसर प्रदान करने की दिशा में अनेकों योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके सकारात्मक व दूरगामी परिणाम होंगे। ऐसी योजनाओं से महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में अग्रिम पंक्ति में स्थान मिल रहा है तथा उनके लिए तरक्की के रास्ते प्रशस्त हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बतौर नागरिक हमें अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए तथा समान अवसरों वाले समाज की स्थापना के लिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।