भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर द्वारा छत्तीसगढ़ में संचालित सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए वार्षिक कार्य योजना-2022 हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.एस. सेंगर ने किया। उन्होंने जिलों में मासिक कार्यशालाओं के माध्यम से कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्रों को जोड़ने का आव्हान किया। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ राज्य की क्षेत्रीय विविधता और किसानों की प्राथमिकताओं को मद्देनजर रखते हुए जैविक, प्राकृतिक खेती तथा एकीकृत कृषि प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को कार्य करने की सलाह दी। इस दो दिवसीय कार्यशाला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा डी.एस.वी.सी. कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित एक कृषि विज्ञान केन्द्र ने भाग लिया और उन्होंने वर्ष 2022 के लिए विस्तार क्षेत्र अनुसंधान हेतु अपनी कार्ययोजनाएं प्रस्तुत की।
छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्रों ने अपनी वार्षिक योजना प्रस्तुत की जिसमें ऑन-फार्म परीक्षण, फील्ड स्तरीय प्रदर्शन, क्लस्टर फील्ड स्तर प्रदर्शन, पोषक-स्मार्ट ग्राम योजना तथा प्रशिक्षण और विस्तार गतिविधियां शामिल थीं। प्रत्येक शोध प्रस्तावों की समीक्षा की गई और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. एस.एस. सेंगर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह तथा दोनों विश्वविद्यालयों के निदेशक विस्तार सेवाएं द्वारा सुझाव दिया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर की सिफारिश के अनुसार 2022 के लिए प्रस्तावित कार्य योजना की अनूठी विशेषता, स्वदेशी और पारंपरिक ज्ञान पर अनुसंधान को शामिल करना था, जिनकी छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से उत्तर और दक्षिणी क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा मध्य मैदानी क्षेत्र में प्रिसीजन फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान कार्याें को भी प्रस्तावित किया गया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. आर.के. बाजपेयी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर को समय-समय पर मार्गदर्शन, बजट और अन्य प्रशासनिक सहायता प्रदान करने हेतु धन्यवाद प्रेषित किया। उन्होंने अनुरोध किया कि छत्तीसगढ़ के लिए गोरिल्ला-पेंड्रा-मरवाही, शक्ति, सारंगढ़-बिलाईगढ़, मानपुर-मोहला और साजा में नए कृषि विज्ञान केन्द्र खोलने हेतु भेजे गए प्रस्तावों को स्वीकृत की जाए।
कार्यशाला के समापन अवसर पर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डॉ. एन.पी. दक्षिणंकर, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में पशुधन से संबंधित अनुसंधान कार्याें को और अधिक विस्तृत करने को कहा। उन्होंने बैकयार्ड पोल्ट्री की नस्लों में विविधता लाने और राज्य के विभिन्न हिस्सों में उनके पालन हेतु परीक्षण करने का प्रयास करने की सलाह दी। निदेशक अटारी ने कहा कि सभी कृषि विज्ञान केन्द्र विभिन्न स्तरों पर दिए गए सुझावों को शामिल करें और एक सप्ताह के भीतर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर के समक्ष अपनी वार्षिक योजनाओं को प्रस्तुत करें।