सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों ने वैसे तो तीन महीने से भी अधिक समय से पेट्रोल-डीजल कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है, लेकिन अब उन पर कीमतें बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा.
कई विश्लेषक मान रहे थे कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने तय हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में लगता है कि इससे पहले ही कीमतों में बड़ा उछाल आ जाएगा. रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव की वजह से आपूर्ति पर असर पड़ा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे.
94 डॉलर से ऊपर पहुंचा कच्चा तेल
MCX पर शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का वायदा भाव 3.3 फीसदी चढ़कर 94.44 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया, जो 2014 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है. इसी तरह, अमेरिकी बाजार का कच्चा तेल WTI भी 3.6 फीसदी बढ़कर 93.10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब ब्रेंट क्रूड और WTI की कीमतों में अंतर इतना कम रह जाए.
पूरी दुनिया झेलेगी रूस का गुस्सा
अमेरिका ने चेतावनी दी है कि रूस कभी यूक्रेन पर हमला कर सकता है और अपने नागरिकों को 48 घंटे में यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. अगर ऐसा होता है तो सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक रूस से दुनियाभर की सप्लाई प्रभावित होगी. इसका सीधा असर निश्चित तौर पर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा और घरेलू बाजार में भी खुदरा मूल्य बढ़ जाएंगे.
इस साल रिकॉर्ड खपत का अनुमान
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 2022 के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की मांग का अनुमान बढ़ा दिया है. एजेंसी का कहना है इस साल कुल ईंधन की खपत में 32 लाख बैरल प्रतिदिन का इजाफा हो सकता है. इससे दुनियाभर में ईंधन की रोजाना खपत बढ़कर 10.06 करोड़ बैरल पहुंच जाएगी. तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक (OPEC) ने भी इस साल ईंधन की खपत बढ़ने का अनुमान लगाया है.
बढ़ती जा रही वोलाटिलिटी
रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनावों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव (Volatility) भी बढ़ रहा है. बुधवार को मार्च के यूएस क्रूड फ्यूचर में 53 फीसदी वोलाटिलिटी रही, जो 16 फीसदी चढ़ा है. सबसे ज्यादा बोली 95 डॉलर प्रति बैरल भाव के लिए लगी. इसका मतलब है कि मार्च तक WTI की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकती है.