कोरोना के डेल्टा (Corona Delta Variant) और ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ था कि एक नए वायरस के जन्म नें दुनिया भर में लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. चीन की वुहान लैब में चमगादड़ों में पाए जानें वाले NeoCov वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि यह इतना खतरनाक साबित हो सकता है कि इससे संक्रमित होने वाले तीन लोगों में से एक की जान जा सकती है. हालांकि अब इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक राहत देने वाली बात कही है. वैज्ञानिकों के अनुसार फिलहाल अभी इस वायरस से किसी भी तरह का खतरा नहीं है.
विशेषज्ञों ने बताया कि नियोकोव वायरस द्वारा जिस चमगादड़ रिसेप्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है वह मानव ACE2 रिसेप्टर्स से तब तक नहीं जुड़ सकता जब तक कि यह एक महत्वपूर्ण उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन नहीं पा लेता. चीनी शोधकर्ताओं ने पाया कि NeoCoV द्वारा जिस बैट (चमगादड़) रिसेप्टर्स का इस्तेमाल किया गया है, वो SARS-CoV2 द्वारा मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले के ही समान थे. इसके अतिरिक्त NeoCoV पर बढ़ा-चढ़ाकर कही जा रही सारी बात अनुमानों पर आधारित हैं.
नियोकोव के चमगादड़ से इंसानों में जाने का खतरा अभी नहीं
NeoCov के चमगादड़ से इंसानों में जाने कोई खतरा फिलहाल नहीं है. अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि अपने मौजूदा स्वरूप में नियोकोव मानव को संक्रमित नहीं करता है, लेकिन यदि यह और अधिक उत्परिवर्तित हुआ, तो यह संभवत: नुकसानदेह हो सकता है.
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, “इस अध्ययन में, हमने अप्रत्याशित रूप से पाया कि नियोकोव और इसके करीबी संबंधी पीडीएफ- 2180-कोव, मानव शरीर में प्रवेश करने के लिए कुछ प्रकार के बैट (चमगादड़) एसीई 2 का प्रभावी रूप से उपयोग कर सकते हैं.” एसीई 2 कोशिकाओं पर एक रिसेप्टर प्रोटीन है, जो कोरोना वायरस को कोशिकाओं से जुड़ जाने और संक्रमित करने के लिए प्रवेश बिंदु प्रदान करता है.
वैज्ञानिकों की मानें तो अभी तक नियोकोव के लेकर सिर्फ सोशल मीडिया पर बातें हो रही हैं लेकिन इससे किसी भी व्यक्ति के संक्रमित होने की खबर सामने नहीं आई है. दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी के प्रमुख वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने कहा कि जूनोटिक स्पिलओवर – जानवरों से मनुष्यों में वायरस का संचरण – एक दुर्लभ घटना है. “वायरस, प्राकृतिक रूप में, मनुष्यों को संक्रमित नहीं करता है. और चूंकि इसने अभी तक इंसानों को संक्रमित नहीं किया है.
वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने कहा, नियोकोव वायरस चमगादगड़ से उभरा वायरस है जो कि एमईआरएस COV के सबसे करीब है. यह सबसे पहले 2012 में ऊंटों के माध्यम से मनुष्यों में उभरा था. MERS मनुष्यों के बीच बहुत अच्छी तरह से संक्रमित और संचारित नहीं होता है. यह मनुष्यों को तभी संक्रमित करता है जब संक्रमित जानवरों और मनुष्यों के बीच संपर्क बहुत निकटतम हों. NeoCoV भी ACE2 रिसेप्टर को अच्छी तरह से बांधता है लेकिन मानव ACE2 रिसेप्टर को नहीं. तो यह मनुष्यों को आसानी से संक्रमित करने की संभावना नहीं है.