पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा रैली और रोड शो पर 22 जनवरी तक लगाई गई पाबंदियां जारी रह सकती हैं. हालांकि चुनाव आयोग प्रचार पर लगी दूसरी पाबंदियों पर कुछ छूट दे सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग 22 जनवरी को इस बारे में समीक्षा बैठक करेगा. हालांकि चुनाव आयोग ने गोवा, यूपी, उत्तराखंड में टीकाकरण (Covid-19 Vaccination) की रफ्तार पर संतुष्टि जताई है, लेकिन पंजाब और मणिपुर में टीकाकरण के मौजूदा आंकड़े और रफ्तार को लेकर आयोग अभी चिंतित है.
बता दें कि कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच, चुनाव आयोग ने उन 5 पांच राज्यों में प्रत्यक्ष रैलियों और रोडशो पर रोक 22 जनवरी तक बढ़ा दी थी, जहां विधानसभा चुनाव होने हैं. आयोग ने कहा कि वह बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और नए निर्देश जारी करेगा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने हालांकि, राजनीतिक दलों को यह छूट दी कि अधिकतम 300 व्यक्तियों की भागीदारी या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों द्वारा निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित की जा सकती हैं.
चुनाव आयोग ने कहा था कि उसने वर्तमान स्थिति, तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद निर्णय लिया. साथ ही शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों और चुनाव वाले राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ हुई डिजिटल बैठकों में प्राप्त जानकारियों को ध्यान में रखा गया. बयान में कहा गया है, ’22 जनवरी, 2022 तक किसी भी रोडशो, पदयात्रा, साइकिल, बाइक, वाहन रैली और जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी. आयोग बाद में स्थिति की समीक्षा करेगा और तदनुसार आगे निर्देश जारी करेगा.’
क्या हैं चुनाव आयोग के निर्देश
EC ने कहा था कि 22 जनवरी तक राजनीतिक दलों या संभावित उम्मीदवारों सहित उम्मीदवारों या चुनाव से संबंधित किसी अन्य समूह की किसी भी प्रत्यक्ष रैली को अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि, आयोग ने कहा, ‘अधिकतम 300 व्यक्तियों या हॉल की क्षमता का 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों (एसडीएमए) द्वारा निर्धारित सीमा के साथ बंद स्थान में बैठक को अनुमति दी जाएगी.
आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव संबंधित गतिविधियों के दौरान आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार और दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया. शुक्रवार को सपा ने कोविड नियमों की अवहेलना करते हुए लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय परिसर में एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया था. लखनऊ में एक अधिकारी ने कहा था कि स्थानीय प्रशासन ‘उल्लंघन’ की जांच कर रहा है.
चुनाव आयोग ने राज्य और जिला प्रशासन को चुनाव आचार संहिता और महामारी नियंत्रण उपायों से संबंधित सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. आठ जनवरी को चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब के लिए विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए, 15 जनवरी तक सार्वजनिक रैलियों, रोडशो और इसी तरह के प्रत्यक्ष प्रचार कार्यक्रमों पर रोक लगाने का एक अभूतपूर्व कदम उठाया था.
‘डिजिटल रैलियों से अमीर पार्टियों को मिलेगी मदद’
विभिन्न क्षेत्रीय दलों ने चुनाव आयोग से प्रत्यक्ष रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के मानदंडों में ढील देने का आग्रह करते हुए कहा था कि डिजिटल रैलियों से केवल उन अमीर पार्टियों को मदद मिलेगी जिनके पास आयोजन के लिए अधिक संसाधन हैं.
आठ जनवरी को, आयोग ने चुनाव प्रचार के लिए 16-सूत्री दिशानिर्देशों को भी सूचीबद्ध किया था जब उसने सार्वजनिक सड़कों और गोल चक्करों पर ‘नुक्कड़ सभाओं’ पर प्रतिबंध लगा दिया था, घर-घर प्रचार अभियान के लिए लोगों की संख्या को उम्मीदवार सहित पांच तक सीमित कर दिया गया था तथा मतगणना के बाद प्रत्याशी और विजय जुलूसों पर रोक लगा दी थी.