छत्तीसगढ़ शासन की नरवा विकास योजना से ग्रामीण इलाकों में भू-जल स्तर में सुधार के साथ-साथ ग्रामीणों को निस्तार और सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ी है। नाले के किनारे वाले खेतों में किसान अब रबी सीजन में खेती के साथ-साथ सब्जी उत्पादन करने लगे हैं। इससे किसान की आय में वृद्धि हुई है। बेमेतरा जिले के करवा नाला का उपचार एवं नाले में जल संरक्षण संरचनाएं बनाए जाने से इस नाले में अब फरवरी-मार्च तक पानी भरा रहने लगा है, जिसका लाभ उठाकर 105 किसान रबी फसलों की खेती और सब्जी उत्पादन करने लगे हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य के ग्रामीण अंचलों में स्थित बरसाती नालों को जल संग्रहण, सिंचाई एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षित एवं उपयोगी बनाने के उद्देश्य से संचालित नरवा विकास कार्यक्रम का सार्थक परिणाम पूरे राज्य में दिखाई देने लगा है। सुराजी गांव योजना के चार घटकों में शामिल नरवा को संरक्षित किए जाने से नाले के आसपास के इलाकों में भू-जल संवर्धन, निस्तार, सिंचाई की सुविधा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधिता को बढ़ावा मिला है।
बेमेतरा जिले का करवा नाला ग्राम पंचायत भुरकी से निकलता है। 15 किलोमीटर लम्बाई वाला यह नाला ग्राम पंचायत जेवरी तक जाता है। नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत इसका उपचार कराए जाने से इस नाले को नया जीवन मिला है। नाले अब लगभग 10 माह तक जल भराव रहता है। जिसके कारण किसानों को रबी फसलों के सिंचाई की सुविधा मिलने लगी है। नाले के किनारे स्थित गांवों में भू-जल स्तर और खेतों में हरियाली बढ़ी है। यह नाला ग्राम पंचायत भुरकी से हथमुड़ी, डुंडा, ओटेबंध, रजकुडी, और जेवरी से होकर जाता है। करवा नाला में जल की रोकथाम के लिए इसके शुरूआती हिस्से से लेकर आखिरी छोर तक एक करोड़ 10 लाख रूपए की लागत से 42 संरचनाएं निर्मित की गई है। इससे क्षेत्र में सिंचित रकबा बढ़कर लगभग 345.12 हेक्टेयर हो गया है। नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट और कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के योजनाबद्ध कार्यों ने किसानों के लिए खुशहाली और समृद्धि का रास्ता खोल दिया है।