मध्य प्रदेश के शर्मनाक नकली रेमडेसिविर प्रकरण में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ED) ने दखल दे दिया है. इस गोरखधंधे के बारे में पूरी जानकारी मांगने ED इंदौर ने जबलपुर एसपी को एक पत्र लिखा है. इसमें प्रकरण से जुड़ी पूरी जानकारी तलब की गई है. कोरोना की भयावह दूसरी लहर में रोंगटे खड़े कर देने वाले इस खेल में जबलपुर का उद्योगपति और सिटी अस्पताल संचालक सरबजीत सिंह मोखा और उसकी पत्नी-बेटा मुख्य आरोपी हैं.
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जब मौत का तांडव मचा हुआ था. उस दौरान कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर नकली माल ज़रूरतमंदों को बेचा गया. ये दहला देने वाला नकली रेमडेसिविर प्रकरण देश भर में चर्चा में आ गया था. इसके तार गुजरात से शुरू होकर दिल्ली तक से जुड़े थे.
गुजरात से नकली माल सप्लाई
गुजरात से जुड़े नकली रेमडेसिविर प्रकरण में जबलपुर के जाने माने उद्योगपति और सिटी अस्पताल संचालक सरबजीत सिंह मोखा की मुख्य भूमिका पाई गई थी. इस मामले में दवा व्यवसायी सपन जैन, सिटी अस्पताल संचालक सरबजीत सिंह मोखा, उसका बेटा हरकरण मौखा, सरबजीत की पत्नी, सिटी अस्पताल की एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया खत्री शुक्ला की अहम भूमिका पाई गई थी. मामले में जबलपुर की ओमती थाना पुलिस ने भी प्रकरण दर्ज कर सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
हवाला की रकम का इस्तेमाल!
इस पूरे प्रकरण में हवाला की रकम के इस्तेमाल की आशंका है. यही वजह है कि अब प्रवर्तन निदेशालय ने इस केस में दखल दे दिया है. जबलपुर एसपी को लिखे गए गोपनीय पत्र में ईडी ने क्या-क्या जानकारी मांगी है यह तो नहीं पता. लेकिन सूत्रों के मुताबिक हवाला की रकम की आशंका के कारण प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी सक्रिय हुई है.
गुजरात का मोरबी था अड्डा
1 मई 2021 को गुजरात के मोरबी में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का भांडाफोड़ हुआ था. इस प्रकरण में 6 मई की रात गुजरात पुलिस ने जबलपुर में सपन जैन को गिरफ्तार किया था. उसने पूछताछ में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा और देवेश के खिलाफ अहम जानकारियां पुलिस को दी थीं. मामले में जांच जब आगे बढ़ी तो पुलिस ने एफ आई आर दर्ज करते हुए 9 लोगों को आरोपी बनाया था. जांच में पता चला था कि 500 इंजेक्शन की खेप गुजरात के रास्ते इंदौर होते हुए जबलपुर पहुंची थी.
सिटी अस्पताल में नकली इंजेक्शन का इस्तेमाल
जहां खुद सिटी अस्पताल के संचालक ने 465 इंजेक्शन इस्तेमाल किए थे. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सिटी अस्पताल में अलग अलग समय में भर्ती किए गए 171 मरीजों को 209 नकली इंजेक्शन लगाए गए थे. उनमें से 9 लोगों की मौत हो गयी थी. पुलिस ने इस मामले में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की 196 शीशी ज़ब्त कर ली थीं. इन्हें नष्ट करने में सरबजीत की पत्नी और अस्पताल की एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया खत्री शुक्ला का हाथ था. नकली इंजेक्शन बाहर भी भेजे गए. माल को ट्रांसपोर्ट कराने में मोखा का बेटा हरकरण मोखा शामिल था. ईडी के इस पत्र से अब फिर से इस मामले में खलबली मच गई है. हवाला के कारण पुलिस और ईडी की जांच के दायरे में और भी कई लोग आ सकते हैं.