केंद्र सरकार ने नेटफ्लिक्स-अमेजन प्राइम और MX प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया की निगरानी करने वाले नियमों को कड़ा कर दिया है. स्ट्रीमिंग कंपनियों को अब लगातार आ रहे आपत्तिजनक कंटेंट को शिकायत के बाद हटाना होगा. वहीं, फेसबुक-व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसी कंपनियों को कंटेंट की निगरानी के लिए शिकायत निपटान अधिकारी की नियुक्त करनी होगी और सरकार को जांच में सहयोग देना होगा.
बड़ी बात यह है कि OTT प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी रोकने के लिए सरकार ने कोई नया कानून नहीं बनाया, बल्कि ‘इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000’ के तहत अब नियम बनाए हैं. इस एक्ट में तीन तरह के प्लेटफॉर्म्स की बात कही गई है. ये प्लेटफॉर्म्स हैं-
सोशल मीडिया
डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स
OTT प्लेटफॉर्म्स
सोशल मीडिया
नग्नता, अश्लील हरकत और तस्वीरों से छेड़छाड़ जैसी सामग्री को शिकायत मिलने के 36 घंटे के भीतर हटाना होगा. साथ ही महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक कंटेंट की शिकायत पर 24 घंटे के भीतर पोस्ट को संबंधित प्लेटफॉर्म से हटाना होगा. इसमें महिला की तरफ से की गई शिकायत जरूरी नहीं होगी.
शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा और इस अधिकारी को 24 घंटे के अंदर शिकायत स्वीकार करनी होगी और 15 दिनों के अंदर उसका निवारण करना होगा.
आप पर असर- इस नए नियम से अब फेसबुक-व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का गलत इस्तेमाल करना बंद हो जाएगा. मतलब सीधा सा है कि अब फेक न्यूज, अफवाहें और आपत्तिजनक कंटेंट यूजर्स तक नहीं पहुंचेगा.
खत्म होगा व्हाट्सएप का एंड टू एंड इंक्रिप्शन!
गाइडलाइन्स जारी करते हुए सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल हिंसा और अफवाहें फैलाने के तौर पर भी किया जाता है. लेकिन अब फेसबुक-व्हाट्सएप, सिगन्ल, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि सबसे पहले कंटेंट किसने शेयर किया यानी वायरल पोस्ट का ओरिजनेटर कौन है. एंड टू एंड इंक्रिप्शन की वजह से अबतक व्हाट्सएप जैसी कंपनियां ओरिजनेटर की जानकारी साझा नहीं करती थीं, लेकिन अब सरकार के मांगने के बाद ओरिजनेटर की जानकारी देना अनिवार्य होगा.