मेडिकल कॉलेज रायपुर के एनाटॉमी सेमिनार हॉल में मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना में चिकित्सा महाविद्यालयों की भूमिका विषयक समन्वय बैठक डॉ आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में प्रमुख सचिव डॉ शुक्ला ने मोतियाबिंद का सुरक्षित ऑपरेशन कर दृष्टिहीनता मुक्त राज्य की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि इस योजना अंतर्गत प्रति वर्ष 80000 मोतियाबिंद ऑपरेशन करते हुए 5 वर्ष में कुल 4 लाख मोतियाबिंद ऑपरेशन कर प्रदेश को दोनों आँख में मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त करने का लक्ष्य है। प्रमुख सचिव डॉ शुक्ला ने मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य योजना हेतु अलग से ऑनलाइन एप बनवाने के निर्देश दिए। उन्होंने इस एप के माध्यम से वर्तमान में सर्वेक्षित 34000 मोतियाबिंद का रजिस्ट्रेशन करने और भविष्य में होने वाले सर्वे में मरीजों का स्पॉट पर ही रजिस्ट्रेशन के संबंध में निर्देश दिए। एप के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए एप में रजिस्ट्रेशन हेतु मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं नेत्र सहायक अधिकारी को लॉग-इन आईडी दिया जायेगा। रजिस्टर्ड मरीजों का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर ही ब्लड प्रेशर एवं शुगर का जॉच करने के बाद ही प्रमाण पत्र के साथ मरीज को ऑपरेशन हेतु भेजा जायेगा, ताकि ब्लड प्रेशर एवं शुगर के मरीजों को इंतजार न करना पड़े। प्रदेश में उपलब्ध बिस्तर की अद्यतन जानकारी एप में अंकित की जायेगी तथा बिस्तर की उपलब्धता के अनुसार ही मरीज अस्पताल में भेजे जायेंगे। जिससे बिस्तर रिक्त न होने के कारण कोई मरीज अस्पताल से वापस न जाये। प्रमुख सचिव डॉ शुक्ला ने कहा कि मोतियाबिंद के मरीज सामान्यतः उम्रदराज होते हैं, इसलिए अस्पताल लाने से लेकर घर पहुचाने और ऑपरेशन प्रक्रिया के दौरान असुविधा न हो, इसका विशेष ख्याल रखा जाए। उन्होंने कहा कि जिस जिले में संसाधन कम हैं, वहां एनजीओं से जुड़े अस्पतालों का सहयोग लिया जाना है, ताकि राज्य से मोतियाबिंद दृष्टिहीनता को समाप्त किया जा सके।
बैठक में डॉ.प्रियंका शुक्ला, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सह प्रबंध संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, डॉ सुभाष मिश्रा, संचालक, महामारी नियंत्रण सह राज्य कार्यक्रम अधिकारी एवं प्रदेश के सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के संयुक्त संचालक सह अस्पताल अधीक्षक तथा विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग उपस्थित थे।