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मानव अधिकार आयोग मध्यप्रदेश ने राज्य शासन से एक विचाराधीन बंदी की मौत पर उसके वैध वारिसों को पांच लाख रूपये मुआवजा राशि अगले एक माह में देने की अनुशंसा की

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मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने राज्य शासन से एक विचाराधीन बंदी की मौत पर उसके वैध वारिसों को पांच लाख रूपये मुआवजा राशि अगले एक माह में देने की अनुशंसा की है। आयोग ने प्रकरण क्र 3432/सिंगरौली/2019 में जिला जेल बैढ़न (सिंगरौली) के विचाराधीन बंदी सूरजबली सिंह गौड की क्षय रोग की जांच नहीं करने एवं उनका उपचार नहीं होने से मौत हो जाने के मामले में यह अनुशंसा की है। शासन चाहे, तो इस राशि की वसूली दोषी जेलकर्मियों से कर सकता है। मामले में आयोग ने पाया कि जेलकर्मियों की लापरवाही के कारण मृतक के मानव अधिकारों की घोर उपेक्षा हुई।

अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य शासन मध्यप्रदेश की सभी केन्द्रीय जेलों, जिला जेलों एवं सब-जेलों में नियमित चिकित्सकों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये एवं नियमित चिकित्सकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरे। जेल में प्रवेश करते समय एवं जेलों में निरूद्ध बंदियों की समस्त नियमित अनिवार्य जांच सुनिश्चित की जाये। इसके अलावा विचाराधीन बंदी सूरजबली सिंह गौड के क्षय रोग से संबंधित जांच न कराने के लिये तत्कालीन जेल अधीक्षक बैढ़न श्री इन्द्रदेव तिवारी, फर्मासिस्ट श्री रामबली पाल एवं जेल चिकित्सक डा. अतुल सिंह तोमर के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी करे।

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