मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा 02 अक्टूबर 2019 से छत्तीसगढ़ में शुरू किए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से नन्हा जीवन फिर से खिलखिला उठा है। बच्चों की सेहत को देख माता- पिता के चेहरे पर फिर से वही मुस्कान लौट आई है। मासूम फिर से उछलने कूदने को तैयार हैं। यह सब हुआ है सुपोषण अभियान से, जिसने राज्य के बड़ी संख्या में बच्चों में कुपोषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह अभियान न केवल बच्चों की सेहत सुधारने में कारगर साबित हुआ है बल्कि स्वस्थ समाज के निर्माण में भी उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत पूरक पोषक आहार के अतिरिक्त राज्य के कुपोषित बच्चों को चिन्हांकित कर पौष्टिक लड्डू एवं शिशुवती माताओं को गर्म भोजन प्रदान किया जा रहा है। सुपोषण अभियान के प्रथम और द्वितीय चरण के पश्चात् राज्य में सितम्बर 2021 तक लगभग 1.51 लाख बच्चे कुपोषण के कलंक से मुक्ति पाए हैं। वजन त्यौहार के आंकड़ों को देखें तो फरवरी 2019 मंे राज्य में कुपोषण का स्तर 23.37 प्रतिशत था जो जुलाई 2021 में घटकर 18.84 प्रतिशत हो गया है। इस दौरान कुपोषण के स्तर में 4.53 प्रतिशत की कमी आई है। तृतीय चरण सितम्बर 2021 से मार्च 2022 तक संचालित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 6 माह से 5 वर्ष की आयु तक के बच्चों को पौष्टिक लड्डू सप्ताह में दो दिन एवं समस्त शिशुवती माताओं को गर्म भोजन आगनबाड़ी केंद्र में दिया जा रहा है।
सुपोषण अभियान के तहत कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक द्वारा हितग्राहियों के घर जाकर नियमित जांच की जाती रही है। कुपोषित बच्चों को पोषण पुर्नवास केन्द्र द्वारा लाभान्वित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल संदर्भ शिविर में बच्चों का नियमित स्वास्थ्य जांच की जा रही है। सुपोषण चौपाल के माध्यम से सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता दिवस के माध्यम से जनजागरण एवं स्वास्थ्य के प्रति निरंतर सचेत करने का प्रयास आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किया जा रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन अवधि में भी हितग्राहियों के घर जाकर नियमित पोषण आहार रेडी टू ईट एवं सूखा राशन का नियमित वितरण किया गया।