राज्यपाल सुश्री उइके ने गुजरात के राज्यपाल को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, यहां के भौगोलिक परिवेश, प्राकृतिक सौंदर्य, यहां के धान की अनेक प्रजातियों, अपार वन संपदा, आदिवासियों के रीति-रिवाज आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य राज्य है। यहां के वनवासियों की जीविका का प्रमुख साधन लघु वनोपज है। आदिवासी संस्कृति अत्यंत समृद्ध है। वे परंपरागत रूप से बेलमेटल, काष्ठशिल्प आदि बनाते हैं और इनके द्वारा बनाए गए उत्पाद देश-विदेश में भी पसंद किये जाते हैं।
सुश्री उइके ने उन्हें राजभवन का भ्रमण कराया। गुजरात के राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ राजभवन की अत्यंत सराहना की। उन्होंने लॉन में बनाए गए ओपन जिम और दरबार हॉल की अत्यंत प्रशंसा की। उन्होंने सुश्री उइके को उनके द्वारा प्राकृतिक खेती को दिये जा रहे प्रोत्साहन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हरियाणा और गुजरात में भी वे किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने यहां दुर्ग जिले के किसानों से भी भेंटकर उन्हें प्राकृतिक खेती से कम लागत में अधिक उत्पादन होने और अन्य लाभों के बारे में जानकारी दी है। आचार्य देवव्रत ने सुश्री उइके और सभी अधिकारियों को गुजरात आने का निमंत्रण दिया। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल के परिसहाय श्री यशपाल जगनिया एवं विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार उपस्थित थे।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत के राजभवन आगमन पर राज्यपाल के सचिव श्री अमृत खलखो एवं उप सचिव श्री दीपक कुमार अग्रवाल ने स्वागत किया। राज्यपाल सुश्री उइके ने शाल एवं स्मृति चिन्ह देकर आचार्य देवव्रत को सम्मानित किया। गुजरात के राज्यपाल ने भी सुश्री उइके को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।