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विज्ञान का कमाल! बना 6 मंजिला इमारत इतना बड़ा चुंबक, सफल हुआ प्रयोग तो खत्म होगा बिजली संकट.

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Science News Today 11th October 2021 in Hindi: विज्ञान और इंजीनियरिंग की दुनिया में हर रोज कुछ न कुछ नया होते रहता है. ये चीजें ही आने वाले समय में हमारी जिंदगी में अहम बदलाव लाती हैं. कुछ ऐसा ही है अमेरिका में बना एक चुंबक. यह चुंबक इतना ताकतवर है कि यह एक विमान को अपनी तरफ खींच सकता है.
लेकिन अब आप कहेंगे कि इस चुंबक का हमारी जिंदगी में क्या काम है. दरअसल, यही तो सबसे बड़ा सवाल है कि करोड़ों-अरबों रुपये की लागत और वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से तैयार इस चुंबक का हमारी जिंदगी में आखिर क्या महत्व है.
इतना बड़ा है यह चुंबक
इस चुंबक को अमेरिका में बनाया गया है. इसके बाद इसे फ्रांस के इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्ट (ITER) में लाया गया है. पूरी तरह से एसेंबल होने के बाद इस चुंबक का आकार 60 फीट ऊंचा और 14 फीट गोला होगा.
असीमित ऊर्जा का जरिया बनेगा यह चुंबक
एक मिनट ठहरिये और सोचिए कि क्या सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा कभी खत्म हो सकती है. आम भाषा में कहें तो क्या सूरत की तपिश कभी ठंडी पड़ेगी? जरा दिमाग पर जोर डालिए और सोचिए. इस सृ्ष्टि की रचना के वक्त से लेकर अब तक सूरज इसी तरह अपनी तपिश बिखेर रहा है और अनंत काल तक यह हमें ऐसी ही तपिश देता रहेगा.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सूरज में ऐसे कौन से तत्व हैं, जो उसकी असीमित ऊर्जा के स्रोत हैं. इसी सवाल का जवाब पूरी दुनिया के वैज्ञानिक खोज रहे हैं. और आज हम जिस विशाल चुंबक की बात कर रहे हैं वह भी इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश का हिस्सा है.

छिपा है सूरज की ऊर्जा का रहस्य
दरअसल, हम स्कूल के स्तर पर ही विज्ञान की किताबों में सूरज की असीमित ऊर्जा के रहस्य के बारे में पढ़ चुके हैं. इस प्रक्रिया को नाभिकीय संकुचन (Nuclear fusion) कहा जाता है. दरअसल, जब दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर एक भारी तत्व का निर्माण करते हैं तो उस प्रक्रिया को नाभिकीय संकुचन कहा जाता है. इस प्रक्रिया में आपार ऊर्जा का उत्सर्जन होता है.
इसी प्रकार जब एक भारी नाभिक दो बराबर नाभिकों में टूटता है तो उसे नाभिकीय विखंडल यानी Nuclear Fission कहा जाता है. इस प्रक्रिया में भी भारी मात्रा में ऊर्जा की उत्पति होती है. दुनिया में अब तक बने तमाम परमाणु रिएक्ट इसी सिद्धांत पर काम करते हैं.
इस सिद्धांत की कमी यह है कि हम विखंडित होने वाले नाभिक का फिर से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. अगर हम उस विखंडित होने वाले नाभिक को फिर से जोड़ दें यानी नाभिकीय संकुचन की प्रक्रिया अपना लें तो हमें अनंतकाल तक असीमित ऊर्जा का स्रोत मिल जाएगा.

सूरज की असीमित ऊर्जा का रहस्य भी यही है. सूरज में पहले एक बड़ा नाभिक दो बराबर नाभिकों में विखंडित होता है और फिर वह उसकी चुंबकीय शक्ति के कारण संकुचित यानी आपस में जुड़ जाता है.

रिएक्टर में इस्तेमाल होगी इड्रोजन बन तकनीक
दुनिया में नाभिकीय संकुचन के सिद्धांत पर ही हाइड्रोजन बन का निर्माण किया गया है जो परमाणु बम से भी कई गुना ज्यादा ताकतवर होता है.

अब फ्रांस स्थित ITER के वैज्ञानिक नाभिकीय संकुचन के जरिए ऊर्जा उत्पादन के विकल्प की तलाश कर रहे हैं. इसी कड़ी में इस विशाल चुंबक का निर्माण किया गया है ताकि परमाणु रिएक्टर में इस चुंबक की मदद से विखंडित होने वाले नाभिकों का संकुचन करवाया जाए और इससे असीमित ऊर्जा प्राप्त किया जाए.

क्या है ITER
ITER एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इसे यूरोप, अमेरिका, रूस, चीन, जापान, भारत और दक्षिण कोरिया की सरकारों ने वित्त पोषित किया है. यह संस्था अपने प्रयोग में सफल हो जाती है तो इन सभी देशों को बौद्धिक संपदा का लाभ मिलेगा. अगर ITER अपने लक्ष्य में सफल हो जाता है तो पूरी दुनिया को कार्बन उत्सर्जन में भी कटौती करने में बड़ी राहत मिलेगी.

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