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डॉ. रमन सिंह पर भूपेश बघेल का पलटवार- ‘छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ रहेगा, पंजाब नहीं हो सकता’

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छत्तीसगढ़ कांग्रेस के विधायकों का दिल्ली जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक बाद एक अलग-अगल बहानों के साथ विधायक से लेकर मंत्री तक दिल्ली पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा रहा हैं कि कुर्सी के खेल में अब वक्त निर्णायक आ चुका है, इसलिए हर दांव-पेंच और जोर-आजमाइश की कोशिश जारी है.

इसी बीच, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के हाईकमान के पास फैसला सुरक्षित होने वाले बयान और विधायकों के दिल्ली दौरे को इत्तेफाक बताया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया भी इस बयान पर आ गई है. उन्होंने कहा, “आजकल इत्तेफ़ाक़ बहुत हो रहे हैं.” डॉक्टर रमन सिंह के छत्तीसगढ़ को पंजाब होने के बयान पर कहा कि छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ रहेगा, पंजाब नहीं हो सकता.
कांग्रेसी विधायकों के दिल्ली दौरे से कांग्रेस के भीतरखाने मची हलचल के बीच परिस्थितियों पर बीजेपी अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. एक दिन पहले ही छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर सारी रिपोर्ट सौंप चुके हैं. हर पल बदलते सियासी समीकरण की जानकारी प्रदेश बीजेपी दिल्ली को दे रही है. पूरे मामले को लेकर एक ओर जहां पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहते हैं कि कांग्रेस पूरी तरह से विभाजित हो चुकी है. कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में ऐसा विभाजन पहले कभी देखने को नहीं मिला. साथ ही यह भी कहते हैं कि कांग्रेस आला कमान के मनाही के बाद भी कांग्रेस विधायक सोनिया और राहुल गांधी पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं जी-29 के नेता अब पूछने लगे हैं कि कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष है क्या, कोई नेतृत्वकर्ता है क्या?
डॉ. रमन सिंह के तंज और मीडिया से सवालों का जवाब देते हुए सूबे के सीएम कहते हैं कि लोकतंत्र में सबको अधिकार है. विधायकों का दिल्ली दौरा समान्य है, इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.
भले ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह इस कुर्सी दौड़ के जल्द समाप्ति के पक्ष में बयान दे रहे हैं मगर पल-पल बदलती राजनीति हालात पर बीजेपी की पैनी नजर पर सत्ताधारी दल के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला कहते हैं कि बिल्ली के भाग्य से झींका नहीं फूटने वाला है. बीजेपी अगर कोई संभावना तलाश रही है तो मुंगेरी लाल के हसीन सपने से बढ़कर कुछ भी नहीं है. शुक्ला ने कहा कि यह बात सच हैं कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर से लेकर दिल्ली दरबार तक ढाई-ढाई साल के फार्मुले पर चर्चा तेज है.

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