इस समय वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न सीजन चल रहा है. अब तक 3 करोड़ से अधिक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल किए जा चुके हैं. दरअसल, आईटीआर पिछले वित्तीय वर्ष के लिए आपकी टैक्स देनदारी का अंतिम आकलन होता है. इसमें किसी वित्त वर्ष के दौरान आपकी इनकम से कई तरह की कटौतियां होती हैं, जिन्हें आईटीआर में सेटल किया जाता है.
कई तरह की कटौतियों में टीडीएस भी शामिल होता है. जिसमें आपकी इनकम के सोर्स से ही टैक्स की कटौती कर ली जाती है. इतना ही नहीं, कुछ मामलों में बैंक से कैश निकालने पर भी टीडीएस लगता है. आइए जानते हैं कि इनकम टैक्स का यह अजीब नियम क्या है?
क्या होता है टीडीएस?
टीडीएस का मतलब होता है इनकम सोर्स पर टैक्स कटौती यानी जब आपको सैलरी, ब्याज या अन्य किसी तरह का भुगतान देने से पहले ही उसमें से टैक्स काट लिया जाता है तो उसे टीडीएस कहा जाता है. यहां इनकम का सोर्स वह व्यक्ति या संस्था होती है, जिससे आपको भुगतान मिलना होता है. उदाहरण के लिए, एक सैलरीड कर्मचारी को उसके टैक्स स्लैब के अनुसार लागू टैक्स में कटौती के बाद उसका वेतन दिया जाता है.
क्या है इनकम टैक्स का नियम?
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194N के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी विशेष वित्तीय वर्ष में अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस अकाउंट से कैश में निकाली गई राशि एक लिमिट से अधिक हो तो टीडीएस काटा जाता है. यह लिमिट आपके आईटीआर दाखिल करने की हिस्ट्री को देखकर तय होती है. अगर अपने पिछले तीन वर्षों से कोई आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो आपके द्वारा 20 लाख रुपये से अधिक और अगर आपने पिछले तीन वर्षों से किसी एक वर्ष में भी आईटीआर दाखिल किया है तो 1 करोड़ रुपये से अधिक कैश निकालने पर टीडीएस काटा जाएगा.