राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की अंदरूनी कलह सोमवार को अपने चरम पर रही. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार और उनसे बगावत करने वाले उनके भतीजे अजित पवार के गुट ने कुछ पार्टी नेताओं पर कार्रवाई की है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया, साथ ही उन्हें और सुनील तटकरे को पार्टी की सदस्यता से भी हटा दिया. इस बीच, प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार गुट ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयंत पाटिल को राज्य राकांपा प्रमुख के पद से हटाने और उनकी जगह सुनील तटकरे को नियुक्त करने की घोषणा की.
प्रफुल्ल पटेल, जो कभी शरद पवार के करीबी सहयोगी माने जाते थे, ने अजित पवार को एनसीपी विधायी इकाई का प्रमुख घोषित किया. पटेल ने कहा कि सितंबर 2022 में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में मुझे उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था जिसके बाद मैंने कई नियुक्तियां की हैं. पटेल को आंतरिक चुनाव के बिना अस्थायी आधार पर राज्य प्रमुख के रूप में भी नियुक्त किया गया था.
अजित गुट ने की कई घोषणाएं, विपक्ष के नेता पद पर बताया नियम
अन्य घोषणाओं में अनिल पाटिल को पार्टी का मुख्य सचेतक, रूपाली चाकणकर को राज्य महिला प्रमुख और सूरज चव्हाण को युवा राकांपा प्रमुख नियुक्त किया गया. वहीं अजित पवार ने कहा कि ‘मैंने पढ़ा है कि एक को विपक्ष के नेता और मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त किया गया है. एलओपी की नियुक्ति स्पीकर को करनी होती है और जिस पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक होते हैं; उसे यह पद मिलता है. यह नियुक्ति विधायकों में भ्रम पैदा करने के लिए की गई है, लेकिन इसका कोई असर नहीं होगा. हमारे पास अधिकांश विधायकों का समर्थन है.’
विधायकों को किसी भी संवैधानिक मुद्दे का सामना नहीं करना पड़ेगा
अजित पवार ने कहा कि अब हम एनसीपी का नेतृत्व कर रहे हैं और हम जो कर रहे हैं वह पार्टी के पक्ष में है. उनके पास कोई नोटिस या कुछ और जारी करने की शक्ति नहीं है. हम सुनिश्चित करेंगे कि विधायकों को किसी भी संवैधानिक मुद्दे का सामना नहीं करना पड़ेगा. डिप्टी सीएम अजित ने रविवार के शपथ समारोह में शामिल हुए नेताओं पर कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही.