विदेशों से एमबीबीएस की पढ़ाई (Study MBBS Abroad) करके लौटे छात्रों को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने बहुत बड़ी राहत दी है. एनएमसी ने अब विदेशी स्नातक चिकित्सा परीक्षा (FMJE) पास कर चुके छात्रों के लिए इंटर्नशिप की सीट (Internship Seats for MBBS Students) को बढ़ाने का फैसला किया है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (Federation of Resident Doctors Association) के प्रतिनिधियों को बताया है कि वे इंटर्नशिप को लेकर पुराने नियम बहाल करने जा रहे हैं. एनएमसी अगले कुछ दिनों में इसकी अधिसूचना जारी कर देगी. फोरडा के मुताबिक अब पहले की तरह ही मेडिकल के छात्र डीएनबी की डिग्री देने वाले अस्पतालों में इंटर्नशिप भी कर सकेंगे.
बता दें कि एनएमसी ने साल 2022 में एक अधिसूचना जारी किया था, जिसमें विदेशों से पढ़कर आए मेडिकल के स्नातक छात्रों को सिर्फ मेडिकल कॉलेजों में ही इंटर्नशिप कराने या करने का प्रावधान किया गया था. इससे विदेशी छात्रों के लिए दिल्ली के सरकारी या अर्धसरकारी अस्पतालों में इंटर्नशिप की सीटें कम हो गईं. वहीं, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लेडी हार्डिंग और एम्स जैसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेजों ने भी अलग-अलग वजहों का हवाला देते हुए इन छात्रों को इंटर्नशिप देने से मना कर दिया था. जबकि, इससे पहले छात्र उन अस्पतालों में इंटर्नशिप कर रहे थे. इन छात्रों को अस्पताल पीजी की डीएनबी का प्रमाणपत्र भी दे रही थी.
विदेशों से एमबीबीएस की पढ़ाई कर लौटे छात्रों को मिली खुशखबरी
बता दें कि पिछले साल लगभग 9 हजार छात्रों ने देश में डॉक्टर बनने की योग्यता वाली एफएमजीई परीक्षा पास की थी. इनमें ढ़ाई हजार छात्रों ने दिल्ली में इंटर्नशिप के लिए आवेदन किया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में एफएमजी परीक्षा पास करने वाले मात्र 5 छात्रों को ही इंटर्नशिप मिल सकी. इन छात्रों के लिए यहां पर 42 सीटें हैं.
बिना इंटर्नशिप किए खुद को डॉक्टर नहीं कह सकते
आपको बता दें कि विदेश से एमबीबीएस करने वाले छात्र बिना इंटर्नशिप किए खुद को डॉक्टर नहीं कह सकते और न ही प्रैक्टिस कर सकते हैं. छात्रों का कहना है कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने पिछले दिनों इंटर्नशिप के लिए 42 सीटें आरक्षित की थी, लेकिन इनमें से केवल पांच सीट पर ही छात्रों को इंटर्नशिप करने का मौका दिया गया, जबकि अन्य सीटों पर इंटर्नशिप देने के लिए मेडिकल कॉलेजों ने मना कर दिया. इसके बाद दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने एनएमसी को पत्र लिखा था.