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सिनेमा को परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में मदद करनी चाहिए: उपराष्ट्रपति

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नई-दिल्ली, उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्का्र समारोह में विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत विजेताओं को वर्ष 2018 के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए, इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंसा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है और फिल्म निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फिल्मों के संवाद पात्रों का वर्णन और उनका पहनावा इस प्रकार हो कि उसमें भारत की संस्कृति, रिवाजों, परम्पराओं की झलक मिले। उन्होंने कहा कि सिनेमा को परिवार व्यवस्था को मजबूत बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों  को बढ़ावा देने में मदद करनी चाहिए। फिल्म् बिरादरी से उन्होंने आह्वान किया कि लोगों, विशेषकर युवाओं के मन में पड़ने वाले फिल्मों के गहरे प्रभाव को ध्यान में रखते हुए वह हिंसा, अशिष्टता और अश्लीलता को दिखाने से बचें, कला की भाषा सार्वभौमिक है और यह सामाजिक नियमों को आकार देने में मदद करती है।

केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि हमारे थियेटर और हमारी फिल्में हमारी संपत्ति हैं, यह हमारी भावुक शक्ति है और हमें इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए। फिल्म शूटिंग की इजाजत और उसे मंजूरी देने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, हमने फिल्म डिवीजन में एकल खिड़की प्रणाली तैयार की है, हम इसे क्षेत्रीय स्तर पर लागू करने की प्रक्रिया में हैं। इस अवसर पर सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर  मंत्रालय में सचिव रवि मित्तल फीचर फिल्म श्रेणी के अध्यक्ष राहुल रवेल, गैर-फीचर फिल्म श्रेणी के अध्यक्ष ए.एस. कनल सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन के अध्यक्ष उत्पल बोरपुजारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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