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महा-शिवरात्रि पूजा का मुहूर्त 13 फरवरी की रात्रि 11:34 बजे से शुरू होकर 14 फरवरी रात्रि 12:47 तक।

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फोटो नेट साभार

रायपुर(छ.ग)१३/२, महाशिवरात्रि भोले भंडारी का दिन है, महाशिव पर अभिषेक करना शुभ माना जाता है, शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में चंद्रमा सूर्य के सबसे नजदीक माना जाता है, इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से मनोवांच्छित फल की प्राप्ति होती है, स्कंदपुराण में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपवास किया जाता है, इस तिथि को सर्वोत्तम माना जाता है। गरुड़ पुराण में शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव की पूजा की जाती है, भगवान शिव को बिल्व-पत्र अर्पित किया जाता है, और उपवास का संकल्प लिया जाता है, तथा चतुर्दशी तिथि को अन्न-जल ग्रहण किए बिना रहकर शिव आराधना की जाती है। यह मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था, साल में आने वाली 12 शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, यह भी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था, जो समुद्र मंथन के दौरान बाहर आया था, शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष, बिल्व-पत्र, भांग, शिवलिंग, औक काशी अतिप्रिय हैं। इस बार पूजा का मुहूर्त 13 फरवरी की रात्रि 11:34 बजे से शुरू होकर यह मुहूर्त 14 फरवरी को रात 12:47 तक रहेगा, ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र 14 फरवरी की सुबह शुरू होगा, ऐसे में इसी दिन महाशिवरात्रि मनाना शुभ होगा। 14 फरवरी को स्नान करने के बाद सुबह 7 बजे से पूजा शुरू किया जा सकता है, सुबह 11:15 से दोपहर 3:30 बजे पूजा के लिए शुभ महूर्त हैं. सायं 5:15 बजे का समय भी बहुत लाभकारी रहेगा, इसके अलावा रात्रि 8 बजे और 9:31 बजे का समय अत्यंत शुभ है, चार प्रहर पूजन का समय: गोधूलि बेला से प्रारंभ कर ब्रह्म मुहूर्त तक पूजा विधि से करावे। पूजा कि विधि में जल से प्रोक्षणी, में गंगा जल मिलकर अपने ऊपर जल छिड़कें, ऊं अपवित्र : पवित्रो वा सर्वावस्थाम् गतो पिवाय: स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स वाह्याभ्यन्तर: शुचि: मंत्र का उच्चारण करें, तीन बार आचमन कर ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं गोविंदाय नम: करके हाँथ धो लें, फिर ऊं ऋषि केशाय नमः करने के बाद स्वस्तिवाचन स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु का पाठ करें, दीपक प्रज्वलित करें, शिवलिंग को पानी, दूध और शहद के साथ अभिषेक करावें, शिव जी का श्रंगार करें, जनेऊ, व चन्दन का तिलक भी करे, धूप के साथ आरती की तैयारी कर शिव महिमा का पाठ लाभकारी फल देता है। भक्ति में सकारात्मक भाव रखें शिव ही सत्य है, इस भावना के साथ हिन्दुओं का यह वैभव शाली त्यौहार अपनी क्षमता को ध्यान में रखकर करें, शिव फलदायी हैं।

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