Home छत्तीसगढ़ नदी बचाने संकल्प के साथ सामूहिक शंखनाद।

नदी बचाने संकल्प के साथ सामूहिक शंखनाद।

नदी संरक्षण हेतु 21 सौ से अधिक शंखों का शंखनाद किया गया, जिसे गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया।

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रायपुर (छ.ग) 08 फरवरी, राजिम की पवित्र तीन नदियों के संगम पर होने वाला कुंभ-कल्प में इस वर्ष तीन विशेष सोपानों का अद्भुत संगम किया गया है, जिसका उद्देश्य और संदेश छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संस्कृति को ऊंचाई प्रदान करते हुए नदियों का संरक्षण करना है, ताकि प्रदेशवासी सुख समृध्दि और उन्नति की ओर सदैव अग्रसर रहे। जानकी जयंती के अवसर पर प्रदेश के प्रसिध्द मंदिरों के पुजारियों एवं प्रदेशवासियों द्वारा 21 सौ से अधिक शंखो का सामूहिक शंखनाद किया गया, जो नदी बचाने के संकल्प को लेकर कुंभ की दिव्यता, भव्यता और पवित्रता का देश दुनिया से साक्षात्कार करवाया। इस अवसर पर प्रदेश के धर्मस्वमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि शंखनाद के माध्यम से एक संकल्प बल प्राप्त करने का दिन है। वेद पुराणों में भी बताया गया है कि समुद्र मंथन से पांचजन्य शंख प्राप्त हुआ था, जो सुख-समृद्धि और संकल्प का प्रतीक है। यहाँ पहले मंदिरों के पुजारी, राजिम एवं प्रदेशवासी द्वारा 15 सौ शंखों का सामुहिक शंखनाद किया जाना प्रस्तावित था, परंतु 21 सौ लोगों द्वारा एक साथ शंखनाद करना एक नए संकल्प एवं संभावना का प्रतीक बनकर वैश्विक अभिलेख में दर्ज हो गया है, उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने, धर्म की रक्षा करने के लिए सामूहिक शंखनाद किया गया है। धर्मस्व सचिव सोनमणी बोरा ने बताया कि जानकी जयंती के शुभ अवसर पर नदी बचाओं अभियान के तहत् यह शंखनाद का आयोजन किया गया है। जिस तरह किसी शुभ कार्य के लिए शंख बजाकर शुभारंभ किया जाता है। उसी तरह नदी बचाने के संकल्प को लेकर यह शंखनाद किया गया है। सामूहिक शंखनाद को गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड के एशिया हेड डॉ मनीष बिश्नोई से इसका प्रमाणपत्र धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और धर्मस्व जल संसाधन सचिव सोनमणी वोरा को प्रदान की गई, डॉ. मनीष ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम अद्भूत अविश्वसनीय और दिव्य था। वास्तव में यह शंखनाद नहीं महाशंखनाद था, जिसमें लक्ष्य से अधिक 21 सौ से अधिक शंखों का शंखनाद किया गया, जिसे गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया। इस दौरान महांडलेश्वरों, साधु-महात्माओं सहित राजिम विधायक संतोष उपाध्याय के अलावा स्थानीय नागरिक एवं श्रद्धालुगण उपस्थित थे। रिकार्ड के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी है। इस कुम्भ-कल्प में बस्तर अंतागढ़ के विधायक भोजराज नाग के नेतृत्व अंतागढ़ के दो समूह पंखाजूर व अंतागढ़ से आंगा देव पधारे हुए है, पंखाजूर के ऐसे बंगाली जो हरिचांद समुदाय की शाखा है, इनकी शाखाएं पंखाजूर, अंतागढ़, पाकिस्तान, पं. बंगाल, कलकत्ता के ठाकुर नाग में है, छत्तीसगढ़ में बस्तर दशहरा रथ के सामने लकड़ी की बनी जिस डोली को लेकर ग्रामीण घुमते नजर आते है दरअसल ये डोली आंगा देव की होती है। बस्तर संस्कृति के अनुसार किसी भी मेले का शुभारंभ आंगा देव की डोली निकालकर ही की जाती है। दंतेश्वरी मां के अंगरक्षक श्री राजीवलोचन एवं श्रीकुलेश्वरनाथ दर्शन करने आए है उनके साथ बस्तर के आदिवासियों के द्वारा मांदरी नृत्य व ढोल बाजे के साथ संत समागम स्थल से उनकी पालकी निकाली गई। उन्होंने अपने आदिवासी साथियों के साथ अंगा देवता को कुंभ कल्प के संत-समागम में स्थापित किया हैं। विधायक भोजराज नाग ने बताया कि अंगादेव बाबा के आदेश होने के बाद ही इन देवताओं को यहां राजिम कुम्भ मे जानकी स्नान के लिए 400 साथियों के साथ यहां पहंुचे और भगवान श्रीराजीव लोचन एवं श्रीकुलेश्वर महादेव के दर्शन किए। उन्होंने बताया कि अंगा देवता से विश्व कल्याण शांति, भाईचारा, धर्म संस्कृति की रक्षा हो इसके लिए त्रिवेणी संगम मे स्नान किया है।

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