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क्रेडिट सुइस का दावा- नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी पर जोर से एलआईसी बनेगी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती

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देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एलआईसी (LIC) के आईपीओ की लॉन्चिंग की तैयारी चल रही है. वहीं, स्विस ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी आने वाले समय में अपने कारोबार को नॉन-पार्टिसिपेटिंग (Non-Participating) पॉलिसी की दिशा में मोड़कर प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे सकती है. क्रेडिट सुइस ने आईपीओ फाइलिंग्स का विश्लेषण करने के बाद तैयार एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई है.

रिपोर्ट कहती है कि एलआईसी की इस कारोबारी बदलाव का सबसे ज्यादा असर एसबीआई लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एचडीएफसी लाइफ और मैक्स लाइफ जैसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों को उठाना पड़ेगा.
मार्जिन को 9.9 फीसदी पर पहुंचा चुकी है LIC
रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी पहले ही अपने मार्जिन को 700 बीपीएस अंक बेहतर करते हुए 9.9 फीसदी पर पहुंचा चुकी है. सरकार ने एलआईसी के सरप्लस और प्रॉफिट डिस्ट्रीब्यूशन नियमों में बदलाव कर इसके मार्जिन में बढ़ोतरी का रास्ता आसान बनाया है. इसकी वजह से एलआईसी अपने कारोबार में पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी के साथ नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी को भी 10 फीसदी जगह दे सकेगी जो फिलहाल महज 4 फीसदी है. इससे एलआईसी अपने मार्जिन को 20 फीसदी तक भी लेकर जा सकती है.

क्रेडिट सुइस का यह अनुमान इस संकल्पना पर आधारित है कि एलआईसी का इंश्योरेंस कारोबार पूरी तरह नए सरप्लस डिस्ट्रीब्यूशन की तरफ स्थानांतरित हो जाएगा. वर्तमान में नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी 100 फीसदी और पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी 10 फीसदी है.
क्या है नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी
पार्टिसिपेटिंग इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारकों को बोनस या डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन के रूप में गारंटीशुदा और बिना गारंटी वाले दोनों लाभ दिए जाते हैं. वहीं नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी में पॉलिसीधारक को अमूमन गारंटीशुदा फायदे मिलते हैं लेकिन उन्हें प्रॉफिट या डिविडेंड नहीं दिया जाता है. फिलहाल एलआईसी का अपने नए बिजनेस प्रीमियम का सिर्फ 4 फीसदी ही नॉन-पार्टिसिपेटिंग पॉलिसी से आता है. इसके उलट प्राइवेट सेक्टर की टॉप 5 इंश्योरेंस कंपनियों का यह अनुपात 20 से 45 फीसदी तक है.

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